25+ Best Motivational Stories in Hindi | प्रेरक कहानियाँ

इस लेख में हम आपको ऐसी motivational stories in Hindi के बारे में बताएंगे, जिन्हें सुनकर आप के अंदर उत्साह बढ़ जाएगा और आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए और भी मोटिवेट हो जाएंगे।

चाहे यह चुनौतियों पर काबू पाने, सपनों को हासिल करने, या कठिन समय में ताकत खोजने की कहानी हो, ये motivational stories आपको खुद पर विश्वास करने और कुछ भी कर सकने वाले दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने में मदद करने के लिए एक धक्के की तरह होंगी। motivational story for students | motivational story for kids |

Motivational Stories in Hindi

एक व्यापारी और नांव वाला (best motivational story)

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एक बार एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन एक छोटे से गांव में जाता है। उसका मकसद होता है कि उस गांव में एक बड़ी सी फैक्ट्री लगानी है। वह एक ऐसी जगह पर पहुंच जाता है, जहां पर उसके सामने एक नदी होती है और उस नदी के सामने वह गांव होता है।

अब उसके सामने दो रास्ते हैं – पहला यह कि वह सड़क के रास्ते घूम कर उस गांव तक पहुंचे, जिसमें लगभग 10 घंटे लगेंगे क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई डायरेक्ट रास्ता नहीं है। दूसरा रास्ता यह था की वह एक नाव में बैठकर नदी के रास्ते उस गांव तक पहुंच जाए जिसमें केवल 20 मिनट ही लगते।

तो अपना टाइम बचाने के लिए उसने उस नाव के जरिए गांव तक पहुंचने का फैसला किया। वह नांव बहुत छोटी सी थी, जिसमें एक तरफ वह आदमी बैठा था जो नांव चला रहा था और दूसरी तरफ वह बिजनेसमैन बैठा था।

नांव मैं बैठने के थोड़ी देर बाद उस बिजनेसमैन ने नांव वाले से पूछा – “तुझे पता है तेरी नांव में कौन बैठा है? तो नांव वाले ने बड़े भोलेपन से कहा – “नहीं साहब मैं नहीं जानता। ”

तब बिजनेसमैन ने कहा – “अरे तू अखबार नहीं पड़ता है क्या? मेरी फोटो हर दूसरे-तीसरे दिन अखबार में छपती है।” तो नांव वाले ने कहा – “अरे साहब मुझे पढ़ना लिखना नहीं आता है। मैं बहुत छोटा सा था, जब मेरे पिताजी गुज़र गए थे औरअपने परिवार का ध्यान रखने के लिए मैं बचपन से ही काम में लग गया। इसलिए मेरा स्कूल बचपन में ही छूट गया था।”

यह सुनकर उस बिजनेसमैन ने नांव वाले का मजाक उड़ाते हुए कहा – “तुझे पढ़ना लिखना भी नहीं आता है। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।” यह सुनकर उस नांव वाले को बुरा तो लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

थोड़ी देर बाद वह बिजनेसमैन उस नांव वाले से बोला – “अभी कुछ दिन बाद, यह जो तू सामने जमीन देख रहा है ना, वहाँ मेरी एक बड़ी सी फैक्ट्री लगेगी जहां पर हम मिनरल वाटर की बॉटल्स बनाएंगे।

उस नांव वाले को बात समझ नहीं आई। उसने कहा किस चीज की फैक्ट्री? तो बिजनेसमैन ने बड़े इरिटेट होकर उससे कहा की – वहाँ पानी की बोतलें बनेंगी, जो तेरे गांव में नहीं बिकती लेकिन शहरों में बहुत बिकती है।

तब नांव वाले ने कहा – अरे साहब मुझे कहां पता होगा। मैने तो कभी इस गांव से बाहर निकला ही नहीं। फिर बिजनेसमैन ने उसके ऊपर हंसते हुए बोला – तू कभी इस गांव से बाहर तक नहीं गया। तुझे पता ही नहीं की शहर क्या होता है। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।

उसकी बात सुनकर नांव वाले को सच में यह लगने लगा कि उसकी जिंदगी किसी काम की नहीं है। यह सोचते हुए उसकी नांव पर से से ध्यान हटी और नांव की एक बड़े से पत्थर से टक्कर हो गई। जिसकी वजह से नांव में पानी भरने लगा और नांव डूबने लगा।

उस जगह पर पानी बहुत ही गहरा था और किनारा बहुत दूर था। नांव वाले को समझ आ गया कि अब इस नांव को बचाने का कोई तरीका नहीं है।

फिर वह अपनी जान बचाने के लिए नदी में छलांग लगाने ही वाला था, तभी उसने बिजनेसमैन ने पूछा – आपको तैरना तो आता है ना ? तो बिजनेसमैन ने घबराकर पूछा – ऐसा क्यों पूछ रहे हो? मुझे तैरना नहीं आता है।

उसकी यह बात सुनकर नांव वाले को हंसी आ गई और बोलै – साहब आपको तैरना तक नहीं आता। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।

यह सुनकर उस बिजनेसमैन को अपनी गलती का एहसास हुआऔर हाथ जोड़कर उसने नांव वाले से कहा – तुम जो मांगोगे मैं तुम्हें वह दूंगा, बस मेरी जान बचा लो। तो उस नांव वाले ने कहा – अरे साहब घबराओ नहीं। मुझे सिर्फ तैरना ही नहीं आता है, बल्कि डूबते हुए लोगों को बचाना भी आता है।

आप मुझे कसकर पकड़ लो। मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा और फिर उस नांव वाले ने न सिर्फ अपनी, बल्कि उस बिजनेसमैन की भी जान बचाई।

तो हमें इस कहानी से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है कि जिंदगी में कभी किसी की मजाक नहीं उड़ानी चाहिए या अपने से कम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता की कब, कहाँ और कैसे किसकी जरूरत पड़ जाए।

 

एक छोटी बच्ची की कहानी (motivational stories in Hindi for kids)

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एक बार एक छोटी सी बच्ची हाथ में मिट्टी की गुल्लक लिए भागती हुई एक दवाई की दुकान पर गई। वह काफी देर तक वहां पर खड़ी रही,लेकिन दुकानदार का ध्यान उस पर नहीं गया क्योंकि वहां पर काफी भीड़ थी।

उसने दुकानदार को कई बार बुलाया लेकिन दुकानदार का ध्यान उस पर नहीं गया क्योंकि वहां पर भीड़ बहुत थी। फिर इस बच्ची को गुस्सा आयाऔर अपने मिट्टी की गुल्लक को वहीं काउंटर पर जोर से रख दिया।

इसके बाद दुकानदार और वहां पर खड़े सभी लोग उसे बच्ची की तरफ देखने लगे। दुकानदार ने उसे बच्ची से पूछा की बेटे आपको क्या चाहिए? तो वह बड़े ही भोलेपन से बोली – “मुझे एक चमत्कार चाहिए।”

यह सुनकर दुकानदार को कुछ समझ में नहीं आया और ना ही वहां पर खड़े लोगों को कुछ समझ में आया। सभी उसकी तरफ देखने लगे। फिर दुकानदार ने उससे कहा की बेटे चमत्कार तो यहां पर नहीं मिलता है। तो बच्ची को लगा कि वह उसे झूठ बोल रहा है।

उसने कहा कि मेरे गुल्लक में बहुत पैसे हैं। बताओ आपको कितने पैसे चाहिए। मैं आज यहां से चमत्कार लेकर ही जाऊंगी। तभी काउंटर पर खड़े एक आदमी ने उससे पूछा की बेटी क्यों चाहिए तुमको चमत्कार?

तब उसे बच्ची ने अपनी कहानी बताई – अभी कुछ दिन पहले मेरे भाई के सर में बहुत तेज दर्द हुआ। मेरे पापा-मम्मी उसको हॉस्पिटल ले गए। उसके बाद कई दिन तक मेरा भाई घर नहीं आया।

मैंने बहुत बार अपने पापा से पूछा लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। वो बार-बार यही बोलते रहे कि वह कल आ जाएगा। लेकिन वह अभी तक घर नहीं आया है। तभी मैंने देखा की मम्मी रो रही थी और पापा उनसे कह रहे थे कि हमारे बेटे के इलाज और दवाइयों के लिए जितने पैसे चाहिए उतने पैसे मेरे पास नहीं है।

अब उसको कोई चमत्कार ही बचा सकता है। तब मुझे लगा कि मेरे पापा के पास अगर पैसे नहीं भी हैं तो क्या हुआ, मेरे पास तो है। इसलिए मैंने जितने भी पैसे जोड़ रखे थे वह सारे पैसे लेकर मैं इस दवाई की दुकान पर आई हूं ताकि चमत्कार खरीद सकूं।

फिर उस आदमी ने बच्ची से पूछा कि कितने पैसे हैं तुम्हारे पास? यह सुनते ही बच्ची ने गुल्लक उठाई और जमीन पर पटक कर उसे फोड़ दिया और पैसे गिनने लग गई। वहां पर खड़े सभी लोग उसे देख रहे थे।

थोड़ी देर बाद उसने सारे पैसे इकट्ठे किए और बोली – मेरे पास पूरे ₹19 हैं। वो जो आदमी वहां पर खड़ा था वह थोड़ा सा मुस्कुराया और बोला की – “अरे तुम्हारे पास तो पूरे पैसे हैं। इतने का ही तो आता है चमत्कार।” यह सुनकर वह बच्ची बहुत खुश हो गई और बोली चलो मैं आपको अपने पापा से मिलवाती हूं।

बाद में पता लगा कि वह आदमी कोई आम आदमी नहीं था। बल्कि एक बहुत बड़ा न्यूरो सर्जन था और उसने सिर्फ 19 रुपए में उसके भाई की सर्जरी कर दी। उसका भाई कुछ दिन बाद ठीक हो करके घर वापस आ गया।

फिर कुछ दिन बाद वह बच्ची, उसका भाई,उसके पापा और मम्मी चारों एक साथ बैठे हुए थे और बात कर रहे थे। तभी उसकी मम्मी ने उसके पापा से पूछा कि अब तो बता दो यह चमत्कार आपने किया कैसे। तब उन्होंने अपनी बेटी की तरफ देख कर कहा – चमत्कार मैं नहीं, इसने किया है।

तो यहां पर एक बहुत बड़ी सबक है, जो हम उस छोटी सी बच्ची से सीख सकते हैं। जिंदगी में कभी-कभी ऐसा होता है कि हमको कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा होता है और हम लोग हिम्मत हार जाते हैं। तब हमारे अंदर एक बच्चा होता है जो कोशिश करने से कभी पीछे नहीं हटता है। वह हार मानने को तैयार ही नहीं होता है क्योंकि उसको “ना” शब्द समझ नहीं आता है। वह बच्चा जिसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है कि क्योंकि वह हर हाल में कोशिश करता ही रहता है।

हम आशा करते हैं कि आपको यह motivational stories in Hindi पसंद आई होगी। इन कहानियों को पढ़कर आपके अंदर कुछ कर दिखाने की इच्छा बढ़ जाएगी और अपने जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाएंगे। अगर आपको यह motivational stories in hindi पसंद आई है, तो कृपया इसे अपने दोस्तों को भी शेयर करें जिनको इसकी ज्यादा जरूरत है।

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